गुलाम वंश: gulam Dynasty

गुलाम वंश(Gulam dynash):-

कार्यकाल-(1206-1290 AD)

 गुलाम वंश के अन्य नाम - दास वंश (Slave dynasty), ममलूक वंश, हल्लरी वंश

गुलाम वंश में कुल शासक - 11 हुए।

गुलाम वंश
गुलाम वंश का संस्थापक:-  (1) कुतुबुद्दीन ऐबक

शासनकाल:-(1206-1210) 

जन्म:-कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म (1150 ई०) को हुआ , ऐबक ने अपनी राजधानी- लाहौर को बनाया तथा सैन्यराजधानी-इन्द्रप्रस्थ को बनाया

>यह मोहमद गौरी का गुलाम था।

👉इसे मिर्जा अजीज कोका से खरीदा गया था, गौरी ने खरीदा था। मो० गौरी ने ऐबक को दो उपाधि मलिक और सिपहसलार प्रदान की,ऐबक गौरी का दामाद भी बना , गौरी ने इसे शुरुआत में अमीर-ए-आखूर(घोड़े के अस्तबल का प्रमुख) पद दिया।


ऐबक की मृत्यु लाहौर मे चौगान खेलते समय हुई

 ऐबक के other name:- पीलबख्श(हाथियो का दान करने वाला), लाखबख्श, हातिम द्वितीय , कुरान खाँ


👉ऐबक ने कभी भी अपने नाम का कोई सिक्का नही चलाया और न ही खुतबा (प्रशंसा पत्र) पढ़वाया।

 * ऐबक बख्तियार काकी(गुरु मोइनुद्दीन चिश्ती) (सूफीवाद) का शिष्य था।

👉शिया और सुन्नी के बीच के मतभेद को खत्म करने के लिए 'सूफीज्म' की स्थापना हुई।


ऐबक के निर्माण कार्य:-

(1.) कुव्वत-उल-इस्साम मस्जिद- उत्तरभारत की पहली मस्जिद (दिल्ली में) 

>>चेरामनपुमा मस्जिद (केरल)-भारत की पहली मस्जिद

(2) अढाई दिन का झोपडा - अजमेर(राजस्थान) 

(3) कुतुबमीनार का निर्माण शुरू कराया। (Height 72.5m) सन् 1993 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है, ऐबक को ही गुम्बद कला और मेहराब कला का जनक कहते हैं

ऐबक का दरबारी कवि हसन निजामी (पुस्तक- ताजुल मसिर) 

ऐबक का मकबरा - लाहौर (इल्तुतमिश ने बनवाया) ) 


(2.) आरामशाह (1210-1211):-

 ऐबक का पुत्र (कमजोरशासक) 

 इसको इल्तुतमिश ने हरा दिया था (चूड़ के युद्ध में


(3) इल्तुतमिश - (1211-1236):- इसे गुलाम का गुलाम कहा गया।

उपाधि : अमीर- उल उमरा

 पिता: ईलमखाँ 

राजधानी : दिल्ली 


इसे ही दिल्ली में सल्तनत काल का वास्तविक संस्थापक कहा जाताहै। 

>इल्तुतमिश ने 'इक्ता प्रथा' चलाई।

>तुर्क-ए-चहलगानी (40 सरदार) का गठन किया

>आगरा में न्याय का घंटा लगवाया

>इल्तुतमिश गद्दी पर बैठने से पहले बदायूँ का गवर्नर था।

>इल्तुतमिश के समय का इतिहास - तारीख - ए - फिरोजशाही में लिखा है" लेखक -बरनी हैं।

>खलीफा से खिलअत प्राप्त करने वाला पहला सुल्तान बना

 👉तराईन का तृतीय युद्ध= 1215 AD  यल्दौज को इल्तुतमिश ने हराया, 

मुद्राजीतल(ताँबा)+ टन्का(चाँदी) 

इल्तुतमिश के समय 1221 में मंगोलो का आक्रमण हुआ (नेतृत्व- चंगेजयों तिमूचिन)

👉इसे मकबरा शैली का जनक कहा गया है, सुल्तानगढ़ी का मकबरा दिल्ली मे (पहला मकबरा) इल्तुतमिश ने बड़े बेटे महमूद की याद में बनवाया →टकसाल (mint) का नाम सिक्को पर चलवाया 

 👉अतारकिन का दरवाजा - जोधपुर में इल्तुतमिश ने बनवाया ,इल्तुतमिश का मकबरा - दिल्ली में - इल्तुततमिश ने ही बनवाया 

इल्तुततमिश की 1236 में मृत्यु हो गयी


दरबारी कवि:- मिन्हाज-उस-सेराज ,पुस्तक (तलकात-ए- नासिरी) 

👉इसने कुतुबमीनार को पूर्ण कराया।


(4) रुकनुद्दीन फिरोज (1236- 1236) (Raknuddin firoz) 

माँ- शाह तुर्कान 

पिता - इल्तुतमिश


[5] रजिया सुल्तान (1236-1240 ):- तुर्की इतिहास की पहली मुस्लिम शासिका इल्तुतमिश की बेटी थी

इसके खिलाफ होने वाले विद्रोह:-

(1) अल्तूनिया का विद्रोह (तबरहिन्द, भटिण्डा PB) 


* रजिया कुल्हा(टोपी) और चोगा(कुर्ता) धारण करती थी, रजिया की हत्या- 25 दिसम्बर 1240 को फैथल में हुई थी।


* रजिया ने काले गुलाम 'याकूत' को अमीर- ए- आखूर नियुक्त किया। याकूत- अल्तूनिया के विद्रोह में मारा गया,


(6) बहरामशाह (1240 - 42) :- इल्तुतमिश का पुत्र (रजिया का भाई) - इसने अपना नायब - ए - मूमलिकात - एतगीन को नियुक्त किया, " एतगीन की हत्या कराई। तयर के नेतृत्व में मंगोलो ने 1241 में आक्रमण किया।


(7) मसूदशाह (1242-40):-रूकनुद्दीन फिरोज का पुत्र


(8.) नसीरुद्दीन महमूद (1246-1266):- इल्तुतमिश का पुत्र → सल्तनत काल का औरंगजेब, टोपी सीकर जीवन व्यतीत करता था।

 महमूद बलबन का दामाद था। 

शम्सी वंश का खात्मा, प्रथम इल्बरी वंश का खात्मा किया


बलबन 1266-1287


इसका शासनकाल द्वितीय इलबरी वंश का शुरुआत माना जाता हैं।

पूरा नाम-गयासुद्दीन बलवन (जिल्ले इलाही, नियावत-ए-खुदाई → यह इल्तुतमिश का गुलाम था। वास्तविक नाम-बहाउद्दीन


● उपाधि - उलूग खाँ (यह उपाधि महमूद ने दी थी) अमीर- ए- शिकार बना बहराम के समय में अमीर ए आखूर बना

                 Read more:- दिल्ली सल्तनत

👉'लौह एवं रक्त ' की नीति अपनाई (मेवातियो के खिलाफ → तुर्क ए चहलगानी का अंत किया

👉सिप्पदा (झुकना), पावोस (चूमना), नौरोज उत्सव शुरू किए।

 👉पहली बार गैर इस्लामिक प्रथा दिल्ली सल्तनत में लागू हुई. फारसी पद्धति में दरबार का गठन किया। सैनिको के लिये नकद वेतन की व्यवस्था की दो विभाग बनाएँ

(1) बरीद-ए-मुमालिक - (गुप्तचर विभाग)

 (2) दिवान-ए- अर्ज (सैन्य विभाग)

                   Read more:- रजिया सुल्तान

• बलबन ने न्याय विभाग की स्थापना की थी


बलबन के समय 1279, 1285 में- मंगोल आक्रमण हुए,


1279 में बंगाल में विद्रोह तुगरिल खाँ ने किया। 

* कैकुवाद (बलबन का पोता) :-किलोखरी का किला बनवाया

 * कैमर्स (शमसुद्दीन-२) - गुलाम वंश का अंतिम शासक


Conclusion

इस अध्याय में हमने आपको गुलाम वंश का इतिहास को बहुत ही सरल भाषा में आपको बताया है और हमारे अनुभव से 📝📝 बनाकर आपके लिए डाले गए है  यदि आप को कोई भी समस्या हो तो आप comment कर सकते हो

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